Kashi Vishwanath Dham: उत्तर प्रदेश के वाराणसी स्थित भगवान काशी विश्वनाथ की नगरी अब देश ही नहीं, बल्कि दुनिया भर के पर्यटकों के लिए भी एक प्रमुख आकर्षण का केंद्र बन गई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की डबल इंजन सरकार के प्रयासों से वाराणसी ने पर्यटन के क्षेत्र में एक नया इतिहास रच दिया है. साल 2025 की शुरुआत में ही वाराणसी में आने वाले भारतीय और विदेशी पर्यटकों की संख्या में जबरदस्त उछाल दर्ज किया गया है.
पर्यटन विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक, वर्ष 2024 के जनवरी से मार्च के बीच जहां करीब 2.56 करोड़ भारतीय पर्यटक बनारस पहुंचे थे, वहीं 2025 के इन्हीं तीन महीनों में यह संख्या बढ़कर 11.46 करोड़ से ज्यादा हो गई है. यानी सिर्फ तीन महीनों में करीब 8.89 करोड़ अधिक भारतीय पर्यटक काशी आए हैं. यह 77.59% की बढ़त है, जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है.
वहीं विदेशी पर्यटकों की संख्या में भी खासा इजाफा देखने को मिला है. 2024 की पहली तिमाही में जहां 98,961 विदेशी सैलानी वाराणसी आए थे, वहीं 2025 के इन्हीं महीनों में यह संख्या बढ़कर 1,50,425 हो गई, जो 34.21% की वृद्धि को दर्शाता है.
आखिर क्यों बढ़ रही है काशी में पर्यटकों की संख्या?
काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर, गंगा घाटों का कायाकल्प, सुंदर सड़कें, साफ-सफाई, नई रोपवे परियोजना, पर्यटन पुलिस, क्रूज़ सेवा, और गंगा आरती जैसे आयोजन अब देश-विदेश के पर्यटकों को आकर्षित कर रहे हैं. वाराणसी अब केवल एक धार्मिक नगरी नहीं, बल्कि आधुनिक सुविधाओं से युक्त एक सांस्कृतिक और पर्यटन राजधानी बन चुकी है. पर्यटन विभाग के उपनिदेशक राजेंद्र रावत के अनुसार, बीते आठ वर्षों में बनारस में हुआ विकास आज रंग दिखा रहा है. पहले जहां यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या लाखों में होती थी, अब यह आंकड़ा करोड़ों में पहुंच चुका है.
2024 बनाम 2025 – पर्यटकों की संख्या (जनवरी से मार्च)
वर्ष 2024
माह भारतीय पर्यटक विदेशी पर्यटक
जनवरी 72,55,719 27,247
फरवरी 80,30,385 36,139
मार्च 1,03,92,527 35,575
कुल- 2,56,78,631 98,961
वर्ष 2025
माह भारतीय पर्यटक विदेशी पर्यटक
जनवरी 4,79,68,503. 64,165
फरवरी 6,05,85,171. 44,943
मार्च 60,57,565 41,317
कुल- 11,46,11,239 1,50,425
यह आंकड़े इस बात का प्रमाण हैं कि वाराणसी अब केवल आस्था का केंद्र नहीं, बल्कि पर्यटन का ग्लोबल ब्रांड बन चुका है. सरकार का लक्ष्य है कि इस ट्रेंड को और आगे बढ़ाया जाए ताकि न सिर्फ स्थानीय लोगों को रोजगार मिले, बल्कि प्रदेश की अर्थव्यवस्था को भी नई ऊंचाई मिले.
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